Tuesday, June 17, 2025 11:02:28 PM

नोएडा में नई ईआरसीपी मशीन
नोएडा: बच्चों के लिए राहत की खबर, चाइल्ड पीजीआई में लगेगी ईआरसीपी मशीन

नोएडा के चाइल्ड पीजीआई में नई ईआरसीपी मशीन लगाने की तैयारी शुरू, जिससे उत्तर प्रदेश सहित आसपास के राज्यों के बाल मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी।

नोएडा बच्चों के लिए राहत की खबर चाइल्ड पीजीआई में लगेगी ईआरसीपी मशीन
चाइल्ड पीजीआई में लगेगी ईआरसीपी मशीन | पाठकराज
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नोएडा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश और आसपास के राज्यों के बाल मरीजों के लिए बड़ी राहत की खबर है। सेक्टर-30 स्थित चाइल्ड पीजीआई में जल्द ही एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलेंजियोपैन्क्रिएटोग्राफी (ईआरसीपी) मशीन लगाई जाएगी। इस मशीन के आ जाने से बच्चों को पेनक्रियाज (अग्न्याशय) और पित्त नली से जुड़ी बीमारियों के इलाज के लिए अब लखनऊ या दिल्ली के अस्पतालों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।

चाइल्ड पीजीआई प्रबंधन ने मशीन की खरीद के लिए टेंडर प्रक्रिया से पहले की औपचारिकताएं शुरू कर दी हैं। मशीन की अनुमानित लागत 70 से 80 लाख रुपये बताई जा रही है। उम्मीद है कि अगले तीन से चार महीनों में मशीन इंस्टॉल हो जाएगी।

 

क्या होता है ईआरसीपी?

ईआरसीपी तकनीक के जरिए पित्त और अग्न्याशय की नलियों की जांच की जाती है। इसमें एक पतली ट्यूब (एंडोस्कोप) को मुंह के रास्ते पेट के अंदर डाला जाता है और रेट्रोग्रेड तकनीक से इसे पित्त और पेनक्रियाज की नलियों तक पहुंचाया जाता है। इसके बाद एक्स-रे की मदद से उन नलियों की तस्वीर ली जाती है जिससे बीमारी का सही आंकलन किया जा सके।

 

क्यों बढ़ रही है यह समस्या?

पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. सुशील कुमार के मुताबिक, "पेनक्रियाज पाचन एंजाइम बनाता है, जो भोजन को पचाने में मदद करते हैं, साथ ही इंसुलिन और ग्लूकागन जैसे हार्मोन भी। लेकिन जब बच्चे लंबे समय तक बाहर का तला-भुना और जंक फूड खाते हैं तो पेनक्रियाज में पथरी बनने लगती है। समय पर इलाज न हो तो यह नली बंद कर सकती है, जो जानलेवा भी हो सकता है।"

डॉ. उमेश शुक्ला, जो बाल रोग विभाग में कार्यरत हैं, का कहना है कि चाइल्ड पीजीआई की ओपीडी में हर दिन 3 से 4 बच्चों में यह समस्या देखने को मिल रही है। वर्तमान में उन्हें लखनऊ या दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल रेफर करना पड़ता है।

 

इन राज्यों के मरीजों को भी मिलेगा लाभ

इस मशीन के लगने से न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड और दिल्ली से आने वाले बाल मरीजों को भी बड़ी राहत मिलेगी। स्थानीय इलाज उपलब्ध होने से समय और पैसों की बचत के साथ-साथ बच्चों को तकलीफ से जल्द राहत भी मिल सकेगी।


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