सांकेतिक तस्वीर | पाठकराज
पाठकराज
नोएडा/ग्रेटर नोएडा। जैसे-जैसे नोएडा और ग्रेटर नोएडा में ज़मीन की कीमतें आसमान छू रही हैं, वैसे ही ज़मीन बेचने के नाम पर ठगी के मामले भी तेज़ी से सामने आ रहे हैं। ऐसा ही एक ताज़ा मामला दादरी रोड पर सामने आया है, जहां एक बिल्डर से करीब दो करोड़ रुपये की ठगी की गई।
सेक्टर-47 निवासी शिवांग ढाका, जो ‘अर्थव इंफ्रास्ट्रक्चर’ नामक कंपनी के माध्यम से ज़मीन की खरीद-फरोख्त का कार्य करते हैं, ने बताया कि मई 2023 में उनकी मुलाकात तुस्याना गांव के पूर्व प्रधान रविंद्र भाटी, अजीत चौहान, बच्चन सिंह और सरीन फॉर्म के पुजारी के ज़रिये सुरेश कुमार सरीन व उनके पुत्र सचिन सरीन से कराई गई।
सरीन परिवार ने उन्हें बताया कि दादरी रोड पर स्थित एक भूमि को वे बेचना चाहते हैं, जो अभी इलाहाबाद उच्च न्यायालय में विचाराधीन है, लेकिन निर्णय उनके पक्ष में आने की पूरी संभावना है। यही नहीं, उन्होंने दावा किया कि फैसला आते ही ज़मीन फ्रीहोल्ड हो जाएगी और उसकी कीमत कई गुना बढ़ जाएगी।
शिवांग ढाका ने इन बातों पर भरोसा करते हुए ज़मीन का सौदा 31 करोड़ रुपये में तय किया और अग्रिम के तौर पर नकद 5 लाख व 45 लाख आरटीजीएस के माध्यम से सुरेश सरीन को दिए। इसके बाद विभिन्न खर्चों के नाम पर और लगभग डेढ़ करोड़ रुपये की राशि आरोपियों ने उनसे वसूल ली। 1 जून 2023 को एक एमओयू (स्मरण पत्र) भी हस्ताक्षरित किया गया।
अदालत पहुंचा मामला, पुलिस पर लापरवाही का आरोप
एक वर्ष बीतने के बाद जब शिवांग ने कोर्ट केस की स्थिति जाननी चाही, तो पता चला कि मामला लंबित है और निपटारे की कोई स्पष्ट संभावना नहीं है। जब उन्होंने ज़मीन का पंजीकृत अनुबंध करने की बात की, तो आरोपियों ने आनाकानी शुरू कर दी। बात बिगड़ती गई और पैसे वापस मांगने पर उन्हें सरीन फॉर्म बुलाकर हथियारों के बल पर धमकाया गया।
शिवांग ने इसकी शिकायत थाना ईकोटेक-3 पुलिस को दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने न्यायालय में प्रार्थना पत्र देकर एफआईआर दर्ज कराए जाने की मांग की। सुनवाई के बाद न्यायालय ने आरोपी सुरेश कुमार सरीन, सचिन सरीन, रविंद्र भाटी, अजीत चौहान, बच्चन सिंह और सरीन फॉर्म मंदिर के पुजारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश जारी कर दिए हैं।
बढ़ते ठगी के मामलों पर सवाल
यह घटना एक बार फिर यह दर्शाती है कि क्षेत्र में ज़मीन के नाम पर ठगी का संगठित नेटवर्क सक्रिय है, जो निवेशकों और बिल्डरों को फर्जी वादों व दस्तावेजों के माध्यम से लूट रहे हैं। स्थानीय प्रशासन व पुलिस की निष्क्रियता भी ऐसे मामलों को बढ़ावा दे रही है।