प्रतीकातमक तस्वीर | पाठकराज
पाठकराज
लखनऊ, 26 मई 2025। उत्तर प्रदेश की सियासत में उस वक्त हलचल मच गई जब एनडीए की दो प्रमुख सहयोगी पार्टियों—अपना दल (एस) और निषाद पार्टी—ने आगामी पंचायत चुनाव अलग-अलग लड़ने की घोषणा कर दी। इन दोनों दलों के इस एकतरफा फैसले से भारतीय जनता पार्टी (BJP) को न केवल चौंकना पड़ा, बल्कि इससे गठबंधन की एकजुटता पर भी सवाल उठने लगे हैं।
पहले अनुप्रिया पटेल, फिर संजय निषाद का झटका
सबसे पहले केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व वाली अपना दल (एस) ने संकेत दिया कि पार्टी पंचायत चुनाव अपने दम पर लड़ेगी। इसके बाद निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद ने भी इसी राह पर चलते हुए अपने उम्मीदवार उतारने की बात कही। दोनों सहयोगी दलों का यह रुख भाजपा के लिए राजनीतिक झटका माना जा रहा है, खासतौर पर तब जब पार्टी को इसकी पूर्व सूचना तक नहीं थी।
बीजेपी ने साधा संतुलन, डिप्टी सीएम का पलटवार
इन घोषणाओं के बाद उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि "यह सहयोगी दलों की निजी राय हो सकती है। अभी भाजपा स्तर पर इस मुद्दे पर कोई औपचारिक चर्चा नहीं हुई है। न ही यह तय हुआ है कि चुनाव अकेले लड़ा जाएगा या गठबंधन के तहत।" हालांकि उन्होंने समाजवादी पार्टी और उसके अध्यक्ष अखिलेश यादव पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि "अखिलेश यादव मुंगेरीलाल के हसीन सपने देख रहे हैं। 2022 में 400 सीटें जीतने का दावा किया था, लेकिन 100 पर सिमट गए। 2027 में समाजवादी पार्टी ‘समाप्तवादी पार्टी’ बन जाएगी।”
भाजपा पर अंदरूनी दबाव, विपक्ष पर तीखे वार
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा इस घटनाक्रम से अंदरखाने दबाव में है। जहां पार्टी अपने सहयोगियों को साधने की कोशिश कर रही है, वहीं विपक्ष पर तीखे हमले करके अपनी राजनीतिक आक्रामकता बनाए रखने का प्रयास कर रही है। डिप्टी सीएम ने बीजेपी सरकार के कानून-व्यवस्था, शिक्षा, रोजगार और विकास के क्षेत्रों में किए गए कार्यों को गिनाते हुए विश्वास जताया कि 2027 के विधानसभा चुनाव में भाजपा फिर से ऐतिहासिक जीत दर्ज करेगी।