मीडिया को संबोधित करते नए डीजीपी | पाठकराज
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस को नया नेतृत्व मिल गया है। वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राजीव कृष्ण ने बतौर कार्यवाहक डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) पदभार ग्रहण कर लिया है। 1991 बैच के तेजतर्रार अधिकारी माने जाने वाले राजीव कृष्ण इससे पहले डीजी विजिलेंस और पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के अध्यक्ष के पद पर कार्यरत थे।
पेशेवर सफर: कड़े फैसलों और बड़ी जिम्मेदारियों का अनुभव
राजीव कृष्ण ने अपने करियर की शुरुआत बरेली, कानपुर और अलीगढ़ में एएसपी के रूप में की थी। इसके बाद वे फिरोजाबाद, इटावा, मथुरा, बुलंदशहर, नोएडा, आगरा, लखनऊ और बरेली जैसे बड़े जिलों में एसएसपी के पद पर रहे।
उत्तर प्रदेश में एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) के गठन के समय वे इसके पहले डीआईजी नियुक्त किए गए थे। मेरठ रेंज के आईजी से लेकर लखनऊ और आगरा जोन के एडीजी, विजिलेंस के एडीजी और फिर डीजी विजिलेंस तक उनका कार्यकाल अनुशासन और रणनीति से भरपूर रहा है।
रसूखदार और प्रभावशाली पारिवारिक पृष्ठभूमि
राजीव कृष्ण का परिवार भी प्रशासनिक और राजनीतिक हलकों में बेहद मजबूत पहचान रखता है:
पत्नी मीनाक्षी सिंह एक सीनियर आईआरएस अधिकारी हैं, और फिलहाल लखनऊ में इनकम टैक्स कमिश्नर के पद पर तैनात हैं।
साले राजेश्वर सिंह, जो कभी ईडी में जॉइंट डायरेक्टर थे, अब लखनऊ की सरोजनी नगर सीट से बीजेपी विधायक हैं।
सरहज (राजेश्वर सिंह की पत्नी) लक्ष्मी सिंह, नोएडा की पुलिस कमिश्नर हैं — जो यूपी की पहली महिला पुलिस कमिश्नर भी हैं।
बड़ी बहन आभा सिंह पोस्टल सर्विस की वरिष्ठ अधिकारी रही हैं और वर्तमान में मुंबई हाईकोर्ट में प्रैक्टिसिंग वकील हैं।
बहनोई वाईपी सिंह, पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं और सामाजिक मुद्दों पर मुखर रहते हैं।
नई जिम्मेदारी: कानून-व्यवस्था सुधार की उम्मीद
राजीव कृष्ण की छवि एक ईमानदार, रणनीतिक और सख्त प्रशासक की रही है। ऐसे में प्रदेश की बिगड़ती कानून-व्यवस्था, महिला सुरक्षा, साइबर क्राइम और पुलिस सुधार जैसे मोर्चों पर उनसे कड़े और निर्णायक कदमों की उम्मीद की जा रही है। नए कार्यवाहक डीजीपी की तैनाती से यूपी पुलिस को नया नेतृत्व मिला है, जिसका ट्रैक रिकॉर्ड साफ है और कार्यशैली प्रभावशाली। ऐसे में आने वाले दिन राज्य की कानून-व्यवस्था के लिहाज से बेहद अहम होने वाले हैं।