सीमापुरी इलाके में जलता ई रिक्शा | पाठकराज
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पूर्वी दिल्ली। यमुनापार में अवैध रूप से चल रहे ई-रिक्शा चार्जिंग स्टेशनों ने लोगों की जान के लिए खतरा पैदा कर दिया है। स्थिति यह है कि बीते एक माह में शॉर्ट-सर्किट और बैटरी फटने की घटनाओं में पांच लोगों की जान जा चुकी है, मगर जिम्मेदार विभाग आंखें मूंदे बैठे हैं। न तो दिल्ली पुलिस हरकत में है, न ही दिल्ली नगर निगम और न ही पूर्वी दिल्ली जिला प्रशासन। हादसे पर हादसे हो रहे हैं, लेकिन कोई सख्त कार्रवाई नहीं हो रही।
बताया जा रहा है कि जिन माकनों के नीचले तल पर अवैध रूप से चार्जिंग स्टेशन बनाएं जा रहे हैं उसमें स्थानीय पार्षद समेत लोकल लोगों का एक बड़ा समूह काम कर रहा है। हैरान करनेवाली बात तो यह है कि बिजली विभाग के पास तो ऐसे मकानों का डाटा होता है, जहां लगातार बिजली खपत के लोड बढ़ रहे होते है लिकन विभाग भी मौन साधे बैठा है।
हर गली में खतरे की बिजली
ब्रह्मपुरी, जाफराबाद, सीलमपुर, भजनपुरा, खजूरी, नंद नगरी, सुंदर नगरी, मुस्तफाबाद, सोनिया विहार, विश्वास नगर, कृष्णा नगर, शाहदरा, सीमापुरी, खुरेजी और लक्ष्मी नगर, दल्लुपुरा, खिचड़ीपुर गांव जैसे दर्जनों इलाकों में अवैध चार्जिंग स्टेशन धड़ल्ले से चल रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि ये चार्जिंग स्टेशन अक्सर किसी बड़े मकान के भू-तल पर घरेलू बिजली कनेक्शन के जरिए चलाए जा रहे हैं।
खुले तार, कोई सुरक्षा नहीं
इन चार्जिंग स्टेशनों पर न तो कोई मानक प्रक्रिया अपनाई जाती है, न ही सुरक्षा के इंतज़ाम होते हैं। खुले तार, ओवरलोड प्वाइंट्स और घरेलू कनेक्शन पर दर्जनों बैटरी चार्ज की जाती हैं, जिससे हर वक्त शॉर्ट-सर्किट और आग लगने का खतरा बना रहता है।
जनप्रतिनिधियों से भी जवाब तलब
स्थानीय लोगों ने सवाल उठाए हैं कि जब लगातार जानें जा रही हैं, तब सत्ता में बैठे जनप्रतिनिधि और प्रशासन चुप क्यों हैं? क्या इन अवैध स्टेशनों को किसी राजनीतिक या प्रशासनिक शह मिल रही है? हालांकि मामले को लेकर कई पार्षदों से पाठकराज की तरफ संपर्क किया गया तो उनका कहना है कि शिकायत मिलने पर जरूर कार्उरवाई की जाएगी।
अब तक क्या कार्रवाई हुई? - जवाब: कुछ नहीं
अब तक किसी भी अवैध चार्जिंग स्टेशन पर बड़ी कार्रवाई नहीं की गई है। न बिजली विभाग ने निरीक्षण किया, न फायर डिपार्टमेंट ने नोटिस जारी किए, और न ही पुलिस ने एफआईआर दर्ज की। हादसों के बाद फॉर्मल जांच की बातें जरूर होती हैं, लेकिन हकीकत में ज़मीन पर कुछ नहीं बदला।
निष्कर्ष: कब जागेगा सिस्टम?
यमुनापार की गलियों में ई-रिक्शा तो दौड़ रहे हैं, लेकिन उन्हें चार्ज करने के लिए बने ये ‘करंट सेंटर’ अब जानलेवा साबित हो रहे हैं। जरूरत है ठोस कार्रवाई की, वरना अगली आग किसी और की ज़िंदगी बुझा सकती है।