पीएम मोदी और सीएम योगी | पाठकराज
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश बीजेपी में प्रदेश अध्यक्ष के चयन को लेकर सस्पेंस लगातार बना हुआ है। राष्ट्रीय नेतृत्व की मंथन प्रक्रिया और संगठनात्मक समीकरणों के चलते यह नियुक्ति अब तक टलती जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए ओबीसी, दलित और ब्राह्मण नेताओं के नामों पर गंभीरता से विचार हो रहा है, जबकि एक मौजूदा डिप्टी सीएम का नाम भी रेस में शामिल बताया जा रहा है।
प्रदेश अध्यक्ष के चयन में देरी को लेकर सियासी गलियारों में सवाल उठने लगे हैं — क्या यह देरी राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से जुड़ी रणनीति का हिस्सा है या फिर मंत्रिमंडल विस्तार के साथ संतुलन साधने की कोशिश?
संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया और राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन
पार्टी सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्वाचन के लिए जरूरी औपचारिकताएं लगभग पूरी हो चुकी हैं। 37 में से 22 राज्यों में संगठनात्मक प्रमुख नियुक्त हो चुके हैं, ऐसे में यूपी जैसे बड़े राज्य में चयन टलने से केंद्रीय प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ेगा। हालांकि माना जा रहा है कि तीसरे चरण में यूपी अध्यक्ष की घोषणा संभव है — बशर्ते पार्टी हाईकमान से मंजूरी मिल जाए।
डिप्टी CM का नाम क्यों चर्चा में?
यह भी संकेत मिले हैं कि एक मौजूदा डिप्टी मुख्यमंत्री को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर विचार किया जा रहा है, जिससे संगठन और सरकार में संतुलन बनाया जा सके। इस संभावना ने मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चाओं को भी हवा दे दी है।
ओबीसी चेहरे रेस में आगे
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धर्मपाल सिंह (लोधी) – पशुपालन मंत्री, आरएसएस पृष्ठभूमि, पार्टी के समर्पित ओबीसी चेहरा।
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बीएल वर्मा (लोधी) – केंद्रीय राज्य मंत्री, कल्याण सिंह के करीबी, पिछली बार भी रेस में थे।
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रेखा वर्मा (कुर्मी) – पूर्व सांसद, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, उत्तराखंड सह प्रभारी, महिला और ओबीसी चेहरा दोनों।
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साध्वी निरंजन ज्योति (ओबीसी) – सांसद, विश्व हिंदू परिषद से जुड़ाव, आक्रामक हिंदुत्व और सामाजिक समीकरण का संगम।
ब्राह्मण चेहरों की चर्चा
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डॉ. महेश शर्मा – नोएडा से सांसद, पूर्व केंद्रीय मंत्री।
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हरीश द्विवेदी – बस्ती से सांसद, युवाओं में पकड़।
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डॉ. दिनेश शर्मा – पूर्व उपमुख्यमंत्री, संगठन और शहरी ब्राह्मणों में मजबूत पकड़।
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श्रीकांत शर्मा – मथुरा से पूर्व विधायक व मंत्री, योगी सरकार में प्रभावी चेहरा।
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सुब्रत पाठक – पूर्व सांसद, कन्नौज से, तेजतर्रार ब्राह्मण नेता।
दलित चेहरों पर भी विचार
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कांता कर्दम – बीजेपी की दलित महिला चेहरा, संगठन से जुड़ी।
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रामशंकर कठेरिया – पूर्व केंद्रीय मंत्री, दलित वर्ग में प्रभावशाली।
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विद्यासागर सोनकर – संगठन और दलित समाज में काम करने वाला नाम।
निषाद और अन्य समुदाय
PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की काट खोजती बीजेपी?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अखिलेश यादव के PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) समीकरण को चुनौती देने के लिए बीजेपी भी उसी सामाजिक संतुलन की दिशा में अपने संगठनात्मक फैसले ले रही है। ऐसे में नए अध्यक्ष का चयन सिर्फ एक पद भरने की प्रक्रिया नहीं बल्कि 2027 की तैयारियों की बुनियाद मानी जा रही है।
रणनीति के हर स्तर पर बारीकी से सोच रही पार्टी
प्रदेश अध्यक्ष का चयन इस बार सिर्फ जातीय समीकरण नहीं, बल्कि संगठन, सरकार और 2024 के बाद के रोडमैप को ध्यान में रखकर किया जाएगा।
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि बीजेपी इस बार ओबीसी कार्ड खेलेगी या ब्राह्मण नेतृत्व पर भरोसा जताएगी — या फिर कोई सरप्राइज चेहरा सामने आएगा?