Thursday, June 05, 2025 07:06:41 AM

127 करोड़ रुपये के स्टाम्प नष्ट
कोषागार में रखे 127 करोड़ रुपये के स्टाम्प पत्र रद्दी घोषित, 4 घंटे में जलाकर किए गए नष्ट

ग्रेटर नोएडा में ई-स्टाम्प की शुरुआत के बाद, 127 करोड़ रुपये मूल्य के भौतिक स्टाम्प पत्रों को जलाकर नष्ट कर दिया गया।

कोषागार में रखे 127 करोड़ रुपये के स्टाम्प पत्र रद्दी घोषित 4 घंटे में जलाकर किए गए नष्ट
फाइल फोटो | पाठकराज
पाठकराज

ग्रेटर नोएडा (डिजिटल डेस्क): जनता के कर से जमा किए गए 127 करोड़ रुपये के भौतिक स्टाम्प पत्र अब केवल कागज़ की राख बनकर रह गए हैं। जिला कोषागार, ग्रेटर नोएडा में रखे गए 64637 स्टाम्प पत्र, जिनकी कीमत 10 हजार से 25 हजार रुपये तक थी, उन्हें शासन के आदेश पर जलाकर नष्ट कर दिया गया। स्टाम्प पत्रों को जिला स्तरीय निगरानी समिति की मौजूदगी में जलाया गया। यह पूरी प्रक्रिया करीब चार घंटे तक चली।

 

ई-स्टाम्प की वजह से बंद हुई बिक्री

सरकार ने जनवरी 2020 में पारंपरिक भौतिक स्टाम्प की बिक्री बंद कर दी थी और इसकी जगह ई-स्टाम्प प्रणाली लागू की गई थी। उस समय जिले के कोषागार में 149.08 करोड़ रुपये के स्टाम्प पत्र शेष थे। जून 2023 में शासन ने पुराने स्टाम्प पत्रों को बेचने की अनुमति दी थी, जिसके तहत 5000 रुपये या उससे अधिक के ई-स्टाम्प की बिक्री पर रोक लगाई गई, ताकि शेष भौतिक स्टाम्प का निपटारा हो सके।

 

केवल 22 करोड़ रुपये के स्टाम्प बिक सके

प्रशासन की कोशिशों के बावजूद, केवल 22 करोड़ रुपये के स्टाम्प ही बिक पाए। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण को पत्र भेजे गए, लेकिन इस दिशा में कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। सरकार ने 31 मार्च 2025 से 10 हजार रुपये से ऊपर के सभी भौतिक स्टाम्प को रद्दी घोषित कर दिया। इसके बाद ग्रेटर नोएडा कोषागार में जमा 127 करोड़ रुपये के स्टाम्प अव्यवहार्य हो गए।

 

समिति की निगरानी में नष्ट किए गए स्टाम्प

इस कार्रवाई की निगरानी अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व अतुल कुमार की अध्यक्षता में गठित समिति ने की। इसमें मुख्य अग्निशमन अधिकारी, सहायक पुलिस आयुक्त, वरिष्ठ कोषाधिकारी शिखा गुप्ता, सहायक आयुक्त स्टाम्प द्वितीय और नामित मजिस्ट्रेट भी शामिल थे।

“कोषागार में रखा 127 करोड़ रुपये का भौतिक स्टाम्प पत्र रद्दी हो गया था। शासन आदेश पर समिति की निगरानी में सभी स्टाम्प पत्र को जलाकर नष्ट कर दिया गया है। इसकी रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है।” — शिखा गुप्ता, वरिष्ठ कोषाधिकारी


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