ग्रेटर नोएडा। गौड़ सिटी सोसाइटी, ग्रेटर नोएडा वेस्ट में किराएदारों से लिए जाने वाले एडवांस पैसों में एक बड़े फ्रॉड का खुलासा हुआ है। यहां मोहित कुमार नामक एकाउंटेंट ने लगभग 15 लाख रुपये हड़प लिए और फरार हो गया। आरोपी ने किराएदारों से एडवांस के नाम पर जमा की गई राशि को सोसाइटी खाते में जमा करने के बजाय अपने निजी बैंक खाते में ट्रांसफर कराया। यह खुलासा तब हुआ जब अपार्टमेंट ऑनर्स एसोसिएशन (AOA) ने लेखा-जोखा खंगालना शुरू किया। जांच के बाद ग्रेटर नोएडा की बिसरख थाना पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। अब पुलिस मामले की तफ्तीश कर रही है।
कैसे हुआ फ्रॉड?
गौड़ सिटी सोसाइटी के AOA सचिव अखिलेश कुमार यादव के अनुसार सोसाइटी के वित्तीय प्रबंधन का कार्य एक निजी फर्म को सौंपा गया था। मोहित कुमार नामक व्यक्ति को बतौर एकाउंटेंट नियुक्त किया गया। सोसाइटी में हर किराएदार से 5,000 का एडवांस सिक्योरिटी डिपॉजिट लिया जाता है। जब किराएदार फ्लैट छोड़ते हैं और मालिक से NOC मिल जाती है, तब यह राशि लौटाई जाती है। लेकिन मोहित कुमार इन पैसों को सुनियोजित तरीके से खुद के खातों में लेता रहा। जांच में पता चला कि इस तरह से उसने करीब 15 लाख रुपये हड़प लिए हैं और अब कहीं फरार है।
किराएदारों की नाराज़गी, AOA पर दबाव
घटना के सामने आने के बाद कई किराएदार AOA से अपने पैसे वापस मांग रहे हैं, जिससे AOA को भारी दबाव का सामना करना पड़ रहा है। परेशान होकर AOA ने सूरजपुर कोर्ट में याचिका दायर की, जिसके बाद कोर्ट के आदेश पर बिसरख थाने में एफआईआर दर्ज करवाई गई। अब AOA की योजना है कि जब भी कोई किराएदार पैसे लौटाने की मांग करेगा, उसे एफआईआर की कॉपी दिखाकर कानूनी प्रक्रिया की जानकारी देकर जिम्मेदारी से बचा जाए।
FIR की स्थिति और आगे की कार्रवाई
आरोपी मोहित कुमार फरार है, जिसकी तलाश में पुलिस जुटी है। पुलिस ने कहा है कि बैंक ट्रांजैक्शन और कॉल डिटेल्स के जरिए आरोपी की गतिविधियों की जांच की जा रही है। धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आपराधिक साजिश की धाराओं में केस दर्ज किया गया है। इस घटना ने AOA की पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी सवाल खड़े किए हैं। भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए सभी लेन-देन सोसाइटी के ऑफिशियल अकाउंट से हों। तीन स्तर की निगरानी व्यवस्था लागू की जाए। हर महीने सार्वजनिक ऑडिट रिपोर्ट जारी की जाए। किराएदारों को ऑफिशियल रसीद देना अनिवार्य किया जाए