युवक के शव को ले जाते परिजन | पाठकराज
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बिजनौर। मेडिकल कॉलेज के डायलिसिस विभाग की लापरवाही ने एक और जान ले ली। शुक्रवार को सीडीओ पूर्ण बोरा ने खराब व्यवस्था की शिकायत पर जब अस्पताल में छापा मारा, तो निरीक्षण के दौरान 26 वर्षीय युवक सरफराज की मौत हो गई। सीडीओ ने इसे बेहद गंभीर मामला बताते हुए पूरे प्रकरण की जांच और सख्त कार्रवाई के संकेत दिए हैं।
सरफराज, जो कोतवाली देहात क्षेत्र के फुलसंदा गांव का निवासी था, नियमित डायलिसिस के लिए अस्पताल आया था। इसी दौरान बिजली गुल हो गई, लेकिन जनरेटर चालू नहीं किया गया। मरीज की हालत बिगड़ी, और मौके पर मौजूद स्टाफ ने CPR देने की कोशिश की, लेकिन जान नहीं बची।
मरीज की मां सलमा का आरोप है कि डायलिसिस के दौरान आधा खून मशीन में ही था और बिजली न होने के कारण प्रक्रिया बीच में रुक गई, जिससे उसके बेटे की मौत हो गई।
गंदगी और बदइंतजामी का आलम
करीब सवा तीन बजे पहुंचे सीडीओ ने डायलिसिस वार्ड में भारी गंदगी, अस्त-व्यस्त उपकरण, और अस्वच्छ माहौल देखा। उन्होंने वहां की प्राचार्या डॉ. उर्मिला कार्या से जवाब-तलब किया। जब तक निरीक्षण चल रहा था, उसी दौरान युवक सरफराज की हालत बिगड़ गई।
जनरेटर नहीं चलता क्योंकि डीजल नहीं मिलता
पूछताछ में पता चला कि डायलिसिस विभाग को संजीवनी प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी संचालित कर रही है। वहां के स्टाफ ने बताया कि कंपनी के मैनेजर डीजल के पैसे नहीं देते, जिसके कारण जनरेटर नहीं चल पाता। बिजली जाने पर मशीनें बंद हो जाती हैं और मरीजों की जान पर बन आती है।
सीडीओ ने की डीजल की व्यवस्था
घटना के बाद सीडीओ ने तुरंत 50 लीटर डीजल अस्पताल भिजवाया ताकि बाकी मरीजों की डायलिसिस रुक न जाए। उन्होंने विभाग में रखे रजिस्टर और दस्तावेज भी जब्त कर लिए हैं।
सीडीओ का बयान:
"डायलिसिस विभाग की हालत बेहद खराब पाई गई है। गंदगी, उपकरणों की बदहाली और बिजली न होने पर मशीनों का बंद हो जाना बेहद गंभीर लापरवाही है। हमारे सामने एक मरीज की मौत हुई है। उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेजी जा रही है, और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाएगी।"
— पूर्ण बोरा, मुख्य विकास अधिकारी, बिजनौर