लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान बाबू बनारसी दास (BBD) ग्रुप एक बार फिर विवादों में आ गया है। इस बार मामला बेहद गंभीर है। आयकर विभाग की बेनामी निषेध इकाई ने BBD ग्रुप के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए करीब ₹100 करोड़ मूल्य की बेनामी संपत्तियों को जब्त कर लिया है।
यह कार्रवाई बेनामी संपत्ति निषेध अधिनियम, 1988 (संशोधित 2016) के तहत की गई है, जिसके तहत न सिर्फ संपत्तियों की जब्ती होती है, बल्कि दोषियों पर आपराधिक कार्रवाई भी की जा सकती है।
किन संपत्तियों पर हुई कार्रवाई?
जब्त की गई संपत्तियां लखनऊ के तेजी से विकसित हो रहे अयोध्या रोड क्षेत्र में स्थित हैं, जहां BBD यूनिवर्सिटी का मुख्य परिसर भी मौजूद है। कार्रवाई के दायरे में आने वाले प्रमुख गांव और भूखंड निम्नलिखित हैं:
उत्तरधौना
जुग्गौर
13 खास
सरायशेख
सेमरा
इन जमीनों पर पहले से निवेश और निर्माण गतिविधियां चल रही थीं। आयकर अधिकारियों का कहना है कि इन भूखंडों को 2005 से 2015 के बीच अलग-अलग नामों पर खरीदा गया था, जबकि वास्तविक लाभार्थी BBD ग्रुप के ही प्रमुख हैं।
वास्तविक लाभार्थी कौन?
जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि जब्त की गई संपत्तियों के असली मालिक BBD ग्रुप की चेयरपर्सन अलका दास और उनके पुत्र विराज सागर दास हैं।
संपत्तियों को जिन दो निजी कंपनियों के नाम पर दर्ज किया गया था, वे हैं
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Viraj Infratown Pvt. Ltd.
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Hi-tech Protection India Pvt. Ltd.
जांच में पाया गया कि इन कंपनियों का कोई सक्रिय व्यापारिक संचालन नहीं था और न ही इतनी बड़ी संपत्ति खरीदने का वित्तीय औचित्य था। इन्हें कागज़ी कंपनियों के रूप में इस्तेमाल किया गया।
कैसे हुआ खुलासा?
आयकर विभाग की बेनामी निषेध इकाई ने इस कार्रवाई को अंजाम देने के लिए कई महीनों तक गहन जांच और डाटा विश्लेषण किया।
जांच में यह सामने आया कि
संपत्तियां उन व्यक्तियों के नाम पर दर्ज हैं जिनके पास पर्याप्त आय का स्रोत नहीं था।
संपत्तियों की खरीद-फरोख्त में ग्रुप के कर्मचारियों और सहयोगियों को बेनामीदार के रूप में इस्तेमाल किया गया।
रजिस्ट्री दस्तावेजों, कंपनियों के ROC फाइलिंग और बैंक ट्रांजैक्शन्स के विश्लेषण से मुख्य लाभार्थियों की पहचान की गई।
बाजार मूल्य 100 करोड़ से अधिक
जब्त की गई इन भूखंडों का बाजार मूल्य ₹100 करोड़ से अधिक आंका गया है। यह क्षेत्र लखनऊ के रियल एस्टेट मानचित्र पर तेजी से उभरता हुआ हॉटस्पॉट है, जिससे इसकी कमर्शियल वैल्यू और भी बढ़ जाती है।
बेनामी संपत्ति निषेध अधिनियम के तहत कार्रवाई
आयकर विभाग ने इस कार्रवाई को बेनामी संपत्ति निषेध अधिनियम, 1988 (संशोधित 2016) के तहत अंजाम दिया है।
इस कानून के तहत:
संपत्तियां तत्काल प्रभाव से जब्त की जा सकती हैं
दोषियों को सात साल तक की सजा और 25% जुर्माना हो सकता है
बेनामीदार और वास्तविक लाभार्थी, दोनों को अपराधी माना जाता है
BBD ग्रुप की प्रतिक्रिया पर सस्पेंस
इस पूरी कार्रवाई को लेकर अभी तक BBD ग्रुप की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि ग्रुप के कुछ प्रतिनिधि कानूनी सलाह ले रहे हैं और जल्द ही न्यायिक चुनौती की संभावना जताई जा रही है।
कई और संपत्तियों की जांच शुरू
सूत्रों के अनुसार, आयकर विभाग इस कार्रवाई के बाद अब BBD ग्रुप की अन्य संपत्तियों, निवेशों और फंड ट्रांसफर की जांच भी शुरू कर चुका है। यह भी आशंका जताई जा रही है कि ग्रुप ने राजनीतिक संपर्कों की आड़ में कई सालों तक ये संपत्तियां बिना खुलासे के बनाई थीं।
शैक्षणिक संस्थान की छवि पर असर
BBD यूनिवर्सिटी लखनऊ की एक प्रमुख निजी यूनिवर्सिटी मानी जाती है, जिसमें हजारों छात्र पढ़ाई करते हैं। इस कार्रवाई से यूनिवर्सिटी की साख और संचालन पर भी असर पड़ सकता है।